अष्टमी भजन मंडल 

अष्टमी भजन मंडल की स्थापना आज से लगभग 48 49 वर्ष पहले हुआ था इस भजन मंडली की स्थापना श्री पदमदास डांगी जी ने किया था।

वे गाय चराने के लिए जंगल जाया करते थे तो जंगल में ही भजन लिखते थे और वहां पर यह फैसला करते थे लोगों से कि आज रात तुम्हारे घर में भजन करेंगे कल रात तुम्हारे घर में भजन करेंगे इस तरह इस भजन मंडली को चलाया था इस तरह की भजन में भाव देखकर उनके ही भ्राता श्री दिल्ली दास डांगी जी ने एक हारमोनियम खरीद कर इस भजन मंडली को सौंपा था।

अब हारमोनियम तो आ गया लेकिन बजाना किसी को नहीं आता था तो इसकी जिम्मा पदम दास डांगी जो को हारमोनियम सिखाने के लिए चरणदास लामिछाने जी आए और उन्होंने भजन सिखाया।

यह भजन मंडल की क्रम चल रहा था तो इनके बीच भवानी प्रसाद गुरु जी एक दिन आ गए और उन्होंने एक दिन तय करने को बोला और अष्टमी के दिन इस भजन मंडली को सक्रिय रुप से चलाने का आदेश दे दिया फिर यह भजन मंडली अष्टमी भजन मंडली के रूप में परिणित हो गया फिर ये अष्टमी के दिन सुचारू रूप से चलने लगा।

 अब तक की अष्टमी भजन मंडली ने एक बड़ा रूप ले चुका था एक परिवार की तरह बन चुका था अपने ही बर्तन खरीद चुका था अपना ही एक समाज बना चुका था जिसका नाम था अष्टमी भजन मंडली इस भजन मंडली के अंतर्गत उनके भी घर में कोई भी सांस्कृतिक प्रोग्राम हो शादी हो तो उनके घरों में यही मंडली के बर्तन जाया करता था और संपूर्ण लोगों को खाना खिलाया जाता था।

 इस भजन मंडली के द्वारा गांव के बच्चों को भजन कीर्तन प्रवचन सिखाया जाता है ताकि आने वाले दिनों में धर्म की प्रचार हो बच्चे बच्चे भी जाने धर्म के बारे में इन सभी विषय को लेकर आज भी बच्चों को सिखाया जाता है।

अष्टमी भजन मंडली आज के दिनों में लोगों का एक उदाहरण बन चुका है क्योंकि यह भजन मंडली समाज सेवा के कार्यकर्ता आ रहा है इसी भजन मंडली के अंतर्गत नेकी की दीवार जैसे समाज सेवा कार्य भी कर रहे हैं जिस में जितने भी लोग अपने पुराने कपड़े हो उन कपड़े को लाकर एक जगह बनाई गई है उस जगह में रख देते हैं ताकि वहां से जिनको भी उस कपड़े की जरूरत हो वह उस कपड़े को अपने घर ले जाते हैं कहने का मतलब जरूरतमंद लोगों को कपड़े वितरण भी किया जाता है।

 आप से भी अनुरोध है आप भी समाज सेवा कार्य में हमारा हाथ बटाए, अष्टमी भजन मंडली को इतना प्यार देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 


                                     प्रणाम